पार्क में मिली भाभी के साथ माउंट आबू में हनीमून
(Park Me Mili Bhabhi Ke Sath Mount Abu Honeymoon)
दोस्तो, मेरा नाम रॉनित है। मैं गुजरात का रहने वाला हूँ। मुझे शुरुआत से ही अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ने का बड़ा चस्का लग गया था।
ये बात उन दिनों की है.. जब मैं राजकोट में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। मैं शुरू से ही बहुत शर्मीले किस्म का रहा हूँ। लड़कियां तो दूर की बात हैं, मैं औरतों से भी ठीक से बात नहीं कर सकता था, पर अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ कर मेरी सेक्स करने की ख्वाहिश बहुत बढ़ जाती थी।
मैं शुरू में तो अपने दोस्तों के साथ रहता था.. पर मैं बचपन से ही अकेला रहा था, सो मैं अपने दोस्तों के साथ ज्यादा एड्जस्ट नहीं हो सका।
जब मैंने घर पर बात की, तो पापा ने बोला- फ़िक्र की कोई बात नहीं है, उधर मेरे दोस्त का फ्लैट है.. और वैसे भी वो तो अभी यूएसए में है.. सो तुम वहाँ आराम से रह सकते हो।
मैं बहुत खुश हुआ कि चलो ये मुश्किल तो हल हो गई। जब मैं वहाँ गया.. तो पता चला कि वो एक बहुत ही पॉश एरिया था। मैं बहुत खुश था कि चलो अब किसी के साथ एड्जस्ट नहीं होना पड़ेगा, पर कुछ ही दिनों में ऐसे अकेलेपन से भी बोरियत सी होने लगी। ना किसी के साथ बोलना.. ना किसी के साथ कुछ.. सो बहुत अकेला फील करने लगा।
इस अकेलेपन से पीछा छुड़ाने का एक रास्ता मिल गया। हुआ यूँ कि हमारे घर के पास में ही एक गार्डन था.. शाम के वक़्त वहाँ चला जाता था। वहाँ पार्क में जाकर मैं एक कोने में बैठ कर म्यूज़िक सुनता रहता।
शाम के वक़्त वहाँ बहुत सारी लड़कियां और भाभियाँ आती थीं, कोई वॉक के लिए.. तो कोई फ्रेश एयर लेने के लिए।
ऐसे ही उस पार्क में एक दिन मेरी मुलाकात एक भाभी से हुई, उसका नाम सौम्या था। जितना खूबसूरत नाम उतना ही खूबसूरत उसका स्वभाव था।
जल्द ही मेरी उससे खूब बनने लगी थी क्योंकि उसके पति ऑस्ट्रेलिया में जॉब करते थे और भाभी अपने वीसा एप्रूवल का वेट कर रही थी। वो यहाँ अपने सास-ससुर के साथ रहती थी।
हम दोनों थोड़े ही दिन में खूब घुल-मिल गए, थोड़े दिन पहले अंजान भाभी से आज मैं चैट करने लगा था और वो भी देर रात तक चैट चलती रहती थी।
थोड़े दिन में हम दोनों बिल्कुल खुल गए, अब हम फ़ोन सेक्स चैट भी बात करते, वो मुझे कुछ-कुछ सिखाती और कुछ-कुछ अपने अकेलेपन को भी बाँटती।
फिर एक दिन हमने फिल्म देखने जाने का प्रोग्राम बनाया। तय किए समय पर हम लोग मल्टिप्लेक्स में मिले। उसने पहले से ही दो टिकेट खरीद रखी थी, जैसे ही हमारे शो का टाइम हुआ.. हम हॉल में अन्दर पहुँचे, पर ये क्या.. उधर सिर्फ़ 10-15 लोग ही थे।
मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि आज कुछ होने वाला है।
जैसे ही मूवी स्टार्ट हुई.. मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा, उसने मेरी तरफ देखा कुछ बोली नहीं.. बस सिर्फ़ मुस्कुरा दी।
मैं समझ गया कि वो भी वही चाहती है। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी चुची पर रखा और उसके 36 की साइज़ के मम्मों को मसलने लगा।
वो भी कुछ बोली नहीं, बस मजा लेती हुई.. बस हल्के स्वर में सिसकारियाँ लेने लगी। उसकी सिसकारियाँ सुन कर मैं और भी जोश में आ गया।
अब उसने अपना मुँह मेरी तरफ किया और अपने दोनों होंठों को खोल दिया। मैं उसका यह इशारा समझ गया और मैं भी देर ना करते हुए उसके होंठों का रस पीने लगा।
उसने भी जोश में आकर मेरा लंड पकड़ लिया, पर थियेटर था.. तो हम उससे आगे कुछ कर भी नहीं सकते थे।
उन दो घंटों तक तो हमारा यही खेल चलता रहा.. फिर हम अपने घर आ गए।
जैसे ही मैं अपने घर पहुँचा मेरे सेल पर भाभी का मैसेज आया कि मुझे ट्रेलर तो अच्छा लगा, पूरी फिल्म का इंतज़ार करूँगी।
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई।
एक 36-28-34 के फिगर वाले शरीर की मालकिन मेरे साथ सेक्स करने को बेताब थी।
मुझे कमरे की तो कोई चिंता थी ही नहीं क्योंकि मैं तो अकेला रहता था.. बस समस्या थी समय की। वो अपने सास-ससुर को ऐसा क्या बोले.. जिससे वो पूरा दिन बाहर रह सके।
पर हमें इसके लिए ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.. क्योंकि दो दिनों के बाद ही उसकी किसी सहेली की शादी का कार्ड आया और उसे उस शादी में अहमदाबाद जाना था।
उसकी सास ने उसे पर्मिशन दे दी कि 3-4 दिन घूम आए तो थोड़ा उसे भी अच्छा लगेगा और फिर पुरानी सहेलियों से भी मुलाकात हो जाएगी।
हमने प्लान बनाया कि वो अपने घर से निकलेगी तो सही.. पर सहेली के वहाँ नहीं, मेरे साथ कहीं और जाएगी।
हम दोनों आबू जाने पर सहमत हो गए। वो अपनी कार में जाने वाली थी.. तो उसने मुझे पहले ही बता दिया था कि वो मुझे सिटी के बाहर से पिक कर लेगी।