पढ़ाई के बहाने चुदाई

हेलो फ्रेंड्स आइ आम अश्विन. मै आपलोगों को अपने साथ घाटी एक घटना को स्टोरी के रूप मे बताना चाहता हूँ.

वैसे तो इस घटना को बीते सालो हो गये लेकिन आज भी जब उस लड़की का चेहरा मेरी आँखो के सामने आता है तो लगता है जैसे कल ही की बात हो.

बात उस समय की है जब मई 11वी मे पढ़ता था. आपलोगो को तो पता होगा ही 11वी क्लास मे लड़के जवान दिलों क साथ जवानी के वो सारे मज़े जल्द से जल्द लेने की फिराक मे रहते हैं जो उनके मा बाप उन्हे शादी के बाद लेते हुए देखना चाहते हैं.
तो बात ये है की हमारा स्कूल एक को-एड स्कूल था. जहा की लड़कियाँ शॉर्ट स्कर्ट्स पहेन के स्कूल आया करती थी. मेरे सभी दोस्त टिफिन के वक़्त मैदान मे बैठ जाया करते थे और बगल से पार होती लड़कियों के शॉर्ट स्कर्ट के अंदर झाँकने की कोशिश मे लगे रहते थे. वाहा की लड़कियाँ भी ये सब जानती थी की हम उन्हे गंदी नज़रों से देखते हैं.

लेकिन उन्हे भी हमे तड़पने मे मज़ा आता था. और वो इसी कारण हमेशा हमारे बगल से पार हुआ करती थी. अब आप ही बताइए जब स्कूल का वातावरण इतना सुगंधित हो तो मै कैसे इससे अछुतआ रह सकता था.
आख़िर मै भी एक नौजवान लड़का था मेरे भी कुछ सपने थे की कभी किसी लड़की की चुचि को अपने मुह मे भर कर उससे सिसकारियाँ भरते हुए देखूं. जैसे वो हमे तड़पाती है अपने जिस्म के लिए. मैं भी उन्हे अपने लंड के लिए तड़पा पाउ. मै ऐसे मौके की तलाश मे ही था की अचानक से एक दिन मुझे रोशनी की एक किरण सी दिखी.

एक दिन की बात है मै और मेरे फ्रेंड्स रोज की तरह मैदान मे बैठकर लंच कर रहे थे तभी वाहा से एक लड़की गुज़री, उससे देखते ही मेरे एक दोस्त के मुह से बरबस ही निकल पड़ा “क्या क़ातिल माल है यार.” दूसरे दोस्त ने मुड़कर देखा और देखते ही कहने लगा की मन तो करता है की आज इसकी चुचि का सारा रस निकल कर मिल्की बार बना कर खा लूँ.
अब इतनी तारीफे सुन कर मुझसे रहा नही गया तो मैने भी उससे पलट कर देखा और जब देखा तो आप विश्वास नही करोगे मैं बस उससे देखता ही रह गया. सच मे क्या माल थी साली, माँ कसम. ऊपर से नीचे तक एक दम सर्व गुन्न संपन्न.

उसके एक एक अंग ने मुझे इतना प्रभावित किया की क्या बोलू. उसकी पतली सी टांगे जैसे लेग्पीस हो किसी चिकन के. और उसके बुर की क्या बात करूँ वो इतने टाइट थे की उसकी पैंटी मे शेप बन रही थी उसकी . मैने तो मन ही मन उसके बुर के रस का स्वाद भी चख लिया था.

अब जैसे ही मैं उससे निहारता हुआ उपर की ओर जाने लगा तो उसकी रसीली चुचिया एक दम कयदेन क्रोस्स (पोर्नस्तर) की तरह लग रही थी. आप यहाँ अक्सर झूली हुई चुचियाँ देखते होंगे लेकिन उसकी चुचि एक दम नॅचुरली टाइट जैसे की रोज कोई मेहनत करता हो उस पर.
बहुत दीनो तक उस लड़की का खुमार मेरे उपर से नही उतरा. ना जाने मैने कितनी ही बार बाथरूम मे उसके रसीले चुचि और टाइट बुर को याद कर मूठ मार दिया. ना जाने मेरे कितने ही छोटे -छोटे बच्चे (स्पर्म) अंजाने मे उसके नाम पर मेरे बाथरूम मे बह गये. मै पढ़ने मे थोडा ऐव़ॅरिज था लेकिन मुझे मथ्स अच्छे से आता था.

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ये उस लड़की की सारी फ्रेंड्स भी जानती थी. तो हुआ यूँ की एक दिन वो खुद से मेरे सामने आई और मुझसे बातें करने लगी.

बातों ही बातो में मुझे उसने अपने बारे मे बहुत सी बातें बताई की कैसे उसका ट्रान्स्फर इस स्कूल मे हुआ और कैसे वो यहा आई. मैं इतना हरामी था क्या बताऊँ आपको उसकी बाते तो सिर्फ़ मेरे कान सुन रहे थे.
जब कोई माल आपके सामने खड़ी हो जिसकी चुचि एक दम रसीली हो और जिसके नाम का आपने कितनी बार मूठ मारा हो की आपको भी याद ना हो तो आपकी नज़रे कैसे नही उसकी चुचि पर जाएँगी मेरी नज़रे बार बार उसकी गदराई हुए मम्मे का ही दर्शन पाना चाह रहे थे.

पर भी किसी तरह मैने खुद को संभाला. जाते जाते किरण ने दोबारा मुझसे मिलने का वादा भी कर लिया.अब मेरा हरामी मन उससे चोदने के एक हज़ार एक तरीके मन ही मन सोचने लगा. उस दिन के बाद से मैने अपने लंड पर मेहनत करना शुरू कर दिया ताकि मेरे लंड से चोदने के बाद उसे बस मेरा ही लंड याद रहे. और जब भी उसके बुर मे खुजली हो तो मुझे ही याद करे.
कुछ दीनो मे ही हमारे एग्ज़ॅम्स शुरू होने वाले थे.उसने मुझसे मथ्स मे हेल्प करने को कहा और मै मान भी गया. अब हम रोज स्कूल की पानी की टंकी जो थोड़ी दूर पर थी और जहा बच्चे कम ही जाया करते थे वाहा उस टंकी के पिछे रोज स्पोर्ट्स पीरियड मे बैठ कर मै उसे पढ़ाया करता था. वो भी अच्छे से मुझसे अब बातें करने लगी.
एक दिन की बात है वो पढ़ते पढ़ते ऐसे ही मेरे साथ शरारत करने लगी और आकर मेरी गोद मे बैठ गई. उसकी नरम नरम टाइट सी मांसल हिप्स जैसे ही मेरी गोद मे पड़े मेरे लंड ने फड़फड़ाना शुरू कर दिया. अब मेरा 6 इंच का लंबा और मोटा लंड उसकी गांद मे उससे महसूस होने लगा.

उसने अचानक ही मेरी तरफ मूड कर देखा मैं एक दम से उससे झेंप गया. लेकिन उस दिन के बाद से वो भी मन ही मन मेरे लंड के सपने देखने लगी थी. मै भी अब उसकी निगाहों मे उसके बर की सुलगती आग को महसूस करने लगा था. एक दिन किसी तरह हिम्मत कर के मैने उससे फ्रेंच किस कर दिया.

मेरे किस करते ही वो एक दम गरम सी हो गयी. उसने भी मेरे होठों को एक दम बदहवास सा चूमना शुरू कर दिया जैसे इसके लिए वो कब से तड़प रही हो.
मैने भी उसके होठों के रस को बुरी तरह से निचोड़ डाला. मै तो पहले से ही गरम था पर जैसा आप जानते हैं की लड़कियो को गरम होने मे थोडा टाइम लगता है तो वो भी धीरे धीरे ही सही पर गरम होने लगी थी.

उसने अचानक से सिसकते हुए मेरे कानो मे कहा अश्विन मेरी इस चुदास की भूखी बुर जो जन्म से ही चुदने को तड़प रही है आज उसकी प्यास बुझा दो. और मचलते हुए वो भी मेरा साथ देने लगी. उससे और ज़्यादा जल्दी गरम करने के लिए मैने धीरे से उसके टॉप नीचे की ओर खिसका दिया .
उसका बदन एक-दम दूध के जैसे सफेद था. और उसकी चुचि जिसके दर्शन मुझे हो रहे थे एक-दम तने हुए संतरे जैसे लग रहे थे. उसकी चुचियो को मैं धीरे धीरे सहलाने लगा,मै कभी उसके निपल को दांतो से काटता तो कभी उससे मुह मे भर कर उसके दूध को पीने की कोशिश करता.

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वो एक-दम से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थी प्लीज़ ऐसा मत करो, मुझसे अब बर्दाश्त नही होता अया उहह उम्मह कुछ करो. उसकी ऐसी कामुक आवाज़ से मुझे और भी उससे तड़पने मे मज़ा आ रा था. वो बुरी तरह से बुर चुदवाने को तैयार हो चुकी थी.

मैने उसके बुर को चाटना शुरू कर दिया, जवाब मे उसने भी मेरा लंड अपने मुह मे भर कर उससे पूरी तरह अपने मुह मे समाने की कोशिश करने लगी. हम दोनो एक दूसरे के उपर 69 के पोज़ मे थे.
मैने उसकी बुर को चाटना तब तक नही छोड़ा जब तक की वो सीत्कारे मार के मेरे लंड को उसके बुर मे डालने को ना कह दे. वो बार बार सीत्कार मार रही थी और मुझे चोदने को कह रही थी. “फक मी हार्डर अश्विन फक मी अब मेरी इस चुदसी बुर को और ना तड़पाओ, वो एक-दम से जैसे जंगली बिल्ली बन गई हो, कहने लगी फाड़ डालो मेरे इस चूत को चोदो मुझे खूब चोदो मेरे राजा..

प्लीज़ मुझे अपने इस लंड के लिए मत तड़पाओ. ऐसा कहकर वो खुद ही मेरे लंड के सुपादे को अपने बुर मे डालने की कोशिश करने लगी. मैने भी अपनी तरफ से धक्का लगाना शुरू किया.
लेकिन उसकी टाइट बुर मे अचानक से मेरा 6 इंच का लंड जगह नही बना पा रा था. अब मैने उसके बुर के उपर ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया. फिर धीरे धीरे थोडा थोडा लंड उसके बुर मे पेलने लगा. अब किरण और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारे मारने लगी.

फिर मैने अचानक से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसके बुर के अंदर घुस गया. उसकी तो चीख ही निकल गयी एक-दम से. वो लंड से हुए दर्द से तड़प रही थी. वो रोने लगी मैने फिर एक बार धक्का दे दिया. वो बुरी तरह से रोने लगी थी और च्चटपटए .
लेकिन मुझको उसे इस हाल मे तड़पने मे और भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उसके बुर से हल्का खून भी निकल रा था. लेकिन मैं उससे नज़रअंदाज़ कर बस चोदे जा रा था और वो भी बदहवास सी इस बात से अंजान थी.

मैं उससे कभी कुटिया बना कर चोदता तो कभी वो मेरे लंड पर बैठ कर उच्छलती. पहले तो उसे दर्द हो रहा था पर चार पाँच झटको के बाद वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी. हम दोनो ने उस दिन बहुत ही ज़्यादा मज़े किए.
अब किरण के पापा का ट्रान्स्फर देल्ही मे हो गया है जिस कारण हम अब नही मिल पाते हैं लेकिन फिर भी मुझे किरण से मिलकर उसे दोबारा चोदने का इंतेज़ार रहेगा.