मम्मी और उनकी सहेली की चूत चूस के चोदी

अब में सीधे खड़े होकर उनकी आखों में आखें डालकर उनके गरमा गरम बूब्स को सहलाने लगा था। मैंने देखा कि आंटी की आखें अब भारी हो रही थी और उनके होंठ ज़रा सा खुल गये थे। तभी में आंटी के ब्लाउज को खोलने लगा था और पूरे चार हुक खोलने के बाद आंटी के ब्लाउज को मैंने उतारा नहीं बल्कि वैसे ही छोड़ दिया। अब मैंने उनके ब्लाउज को उनके बूब्स से नीचे की तरफ सरकाया तो उन्होंने एक लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और मैंने तुरंत अब उनके बूब्स को धर दबोचा और फिर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा था। फिर मैंने महसूस किया कि वो उस समय हवस की आग में जल रही थी और लगातार धीरे धीरे से सिसकियाँ ले रही थी। मैंने अब उनकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया और ब्रा को पूरा नीचे उतार दिया, उनके ब्लाउज को भी अब झट से उतारने के बाद मैंने आंटी के गरमा गरम बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और में दिल खोलकर उनके बूब्स को चूसता और दबाता रहा, उनका स्वाद में कभी नहीं भूलूंगा और उनके दोनों बूब्स को जी भरकर प्यार करने के बाद में अब उनके पेट को चूमने लगा था और धीरे धीरे चूमते हुए में उनकी कमर तक पहुँच गया। तब मैंने महसूस किया कि उनका पेट बहुत मुलायम था। दोस्तों में पेट को चूमता और बीच बीच में अपनी जीभ से चखता भी था। फिर उनकी नाभि के आस पास दो तीन बार चूमने के बाद मैंने उनकी नाभि में अपनी जीभ को डाल दिया। तभी वो अचानक से चिल्ला उठी और फिर से मेरे सर को पकड़कर दबाने लगी। वो अब मेरे बालों को भी सहला रही थी और में आंटी की गहरी नाभि को मज़े से चाट रहा था। फिर मैंने आंटी की साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत पर अपना चेहरा मसल दिया, सच में आंटी बहुत मज़े ले रही थी और तरह तरह की आवाज़ें भी निकाल रही थी। मैंने उनकी चूत को साड़ी के ऊपर से की सूंघने की कोशिश की और एक सुगंध जो कि पसीने और जिस्म की खुशबू जैसी हो, मेरी नाक में जा रही थी, लेकिन दोस्तों वो महक एक हवस की आग में तड़प रही और एक गरम औरत की थी, जिसको सूंघकर में अब बिल्कुल पागल हो रहा था। फिर कुछ देर सूंघने के बाद में खड़ा हुआ और आंटी को एक बार चूमने के बाद उनको तुरंत अपनी गोद में उठाकर बेडरूम ले गया और वहां पर पहुंचकर आंटी को मैंने बिस्तर के सामने खड़ा कर दिया। मैंने एक बार उनकी आखों में देखा और फिर में अपने घुटनों पर बैठ गया और मैंने उनकी साड़ी को धीरे धीरे से उठाया और उनकी पेंटी को उंगलियों से पकड़कर धीरे से नीचे सरकाकर पूरा नीचे की तरफ उतार दिया।

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अब आंटी ने अपना एक पैर अपनी पेंटी से बाहर निकाल लिया और फिर दूसरे पैर को भी पेंटी से बाहर किया। में उनकी पेंटी को हाथ में लेकर उठकर खड़ा हुआ और आंटी की आखों में देखते हुए ही में अब उनकी पेंटी को सूंघने लगा और फिर पेंटी को बिस्तर पर दूर फेंक दिया। अब आंटी तुरंत मेरे पास आकर मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और किस करते करते में आंटी को बिस्तर पर ले गया। आंटी और में दोनों ही मेरी टी-शर्ट और शॉर्ट्स को हड़बड़ी से उतारने लगे। फिर में आंटी के नीचे आ गया और में उनकी साड़ी को ऊपर सरकाने लगा। मैंने उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और बिना वक़्त खराब किए में आंटी की चूत को दिल खोलकर चूसने लगा। पहले मैंने एक से दो बार चूत को नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर धीरे से में अपनी स्पीड को बढ़ाता गया। फिर मैंने चखकर महसूस किया कि उनकी चूत का स्वाद बहुत ही अच्छा और मस्की था और उनके जिस्म के पसीने का स्वाद भी उनकी चूत के स्वाद के साथ मिलकर आ रहा था। फिर में उनकी चूत को बहुत अच्छी तरह से चूसता गया और आंटी अपनी कमर को पागलों की तरह ऊपर नीचे करके हिला रही थी। फिर मैंने तुरंत उनके बूब्स को पकड़ लिया और धीरे धीरे से दबाने लगा था और अब में उनकी चूत को लगातार ज़ोर से चूस भी रहा था।

अब मेरे कुछ देर चूसने, चाटने के बाद आंटी ने मेरे सर को बहुत ज़ोर से अपनी चूत पर दबाया और वो अचानक से झड़ गई और अब उनकी चूत का रस मेरे पूरे चेहरे पर था, में जितना हो सके उसे पी गया और बाकी मुझे मजबूरन मुहं से बाहर निकालना पड़ा, क्योंकि उनकी चूत से बहुत ज़्यादा रस बाहर निकल रहा था। फिर मुझसे और रहा नहीं गया और में आंटी के पैरों के बीच में गया और मैंने अपना लंड हाथ में ले लिया। अब में उसे आंटी की चूत के दाने पर रगड़ने लगा था। फिर आंटी मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब तो डाल दो इसे अंदर और रहा नहीं जा रहा, इसलिए मैंने जोश में आकर एक ही जोरदार झटके में उनकी चूत के अंदर अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया, क्योंकि अब हालात बहुत ही गरमा गये थे, इसलिए हम दोनों बिल्कुल पागल हो चुके थे और इसलिए में तुरंत ही आंटी को ज़ोर ज़ोर से लगातार धक्के देकर चोदने लगा। में आंटी की तरफ झुका और ज़ोर से चोदते चोदते ही में आंटी के होंठो को चूमने लगा और हम दोनों हवस के इस एहसास में पूरी तरह से डूब चुके थे। में आंटी को बिल्कुल पागलों की तरह चोद रहा था और वो भी अपनी कमर को हिला हिलाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। दोस्तों वो एहसास बहुत ही कमाल का था, जो किसी भी शब्दों में बताया ही नहीं जा सकता। फिर में कुछ देर के धक्कों के बाद अब झड़ने वाला था और मैंने आंटी को यह बताया और उनसे पूछा कि में अपना वीर्य कहाँ निकालूं? तो वो मुझसे तुरंत बोली कि तुम मेरे अंदर ही अपना गरम गरम लावा निकाल दो। फिर उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने अब उन्हें और भी ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया और फिर आंटी ने मुझसे कहा कि वो भी अब झड़ने वाली है। फिर मैंने आंटी के बूब्स को चूसना शुरू किया और फिर में उनके निप्पल को हल्के से काटने लगा तो आंटी झड़ने लगी और वो बिल्कुल पागलों की तरह छटपटाने लगी। उसके बाद में और रोक नहीं पाया और में भी अब झड़ गया और दोस्तों में बहुत ज़ोर से झड़ा था और मुझे हल्का सा बेहोश होने जैसा लग रहा था। तभी अचानक से आंटी इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि मुझे लगा कि पड़ोसी सुन लेंगे, क्या पता बाहर मेरी मम्मी भी सुन लेगी। फिर हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे को देखने लगे और हमारे होंठ एक बार फिर से एक दूसरे से टकराए। अब हम दोनों एक दूसरे के होंठो को चख रहे थे। फिर वो मुझसे बोली कि तुम्हारे अंकल ने मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं करवाया, उन्होंने कभी भी मुझे ऐसा मज़ा नहीं दिया और यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव है, तुम्हारे साथ मुझे सेक्स करने में बहुत मज़ा आया और तुम्हें चुदाई करने का बहुत अच्छा अनुभव है और फिर हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर सो गये।

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फिर आंटी ने मुझे नींद से उठाया और बाथरूम में ले गई। फिर दोनों मिलकर नहाए और फिर हम अपने कपड़े पहनने लगे। आंटी की साड़ी पसीने और चूत के रस से पूरी भीग चुकी थी। आंटी ने दूसरी साड़ी पहनी और मैंने अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स। फिर एक लंबे किस के बाद में अपने घर पर चला आया। दोस्तों फिर क्या था? बस मुझे अब मौका मिलने की देर होती थी और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में। आंटी को मैंने इतनी ज़्यादा बार चोदा कि में गिनती ही भूल गया। सच में दोस्तों आंटी के साथ रहना मुझे बहुत अच्छा लगा। दोस्तों में अब उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी कहानी जरुर पसंद आई होगी ।।

धन्यवाद …

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