दोस्त की शादी, मेरी चाँदी

अगले कुछ दिन कुछ ख़ास न्ही थे मे बस जस्सी के साथ सुबह फ्रेश होने ओर दोपहर मे खेतो मे जाता. वाहा उसे साहिबा मिलती ओर वो दोनो किसी झाड़ के पीछे चुदाई लीला करते. ओर मे चुपचाप वाहा खड़ा इंतेजार करता. जस्सी ने साहिबा को भागने के लिए पूछा मगर साहिबा ने माना कर दिया. साहिबा ने कहा मे तुमसे प्यार तो करती हू पर मे ये नही कर सकता.

मगर जब तक तुम चाओगे मे अपना प्यार तुम्हे देती रहूगी. चुदाई का खेल वैसे ही चल रहा था. पर मेरा मंन ये देख के साहिबा की चुदाई करने का था. आज तक मैने जितनी भी औरते देखी इसमे सेक्स की भूक सबसे ज़्यादा थी. बहोट गरम ओर भूकी शेरनी की तरहा वाइल्ड.

साहिबा को मैने जस्सी क साथ करते हुए देखा था छुपकर खेतो मे. वो जस्सी पर टूट्त पड़ती थी. पूरे सरीर को नोचने काटने लगती. मुझे ऐसा सेक्स बहुत पसन्द है. मे कभी करीब से नही देखा पाया ओर सुबा खेतो मई अंधेरा भी होता है इसीलिए बस दूर से यही दिखता था. साहिबा ने मुझे एक दो बार उन्हे सेक्स करते हुए देखते हुए देख लिया था.

मेरा साहिबा को चोदने का बहुत मान हो रहा था. ओर एक दिन मुझे वो मौका मिल भी गया. शादी से 1 वीक पहले कुछ रसम होती है उनकी. जिसमे दूल्हा घर से बाहर नही निकलता. ओर शादी के कारण घर मे मेहमान आ गये थे तो रात को भी जस्सी उसके घर नही जा सकता था. अब जस्सी की बात साहिबा तक मे मिल के पहुचता था. साहिबा के पास फोन था नही क्योकि गाव मे औरते फोन नही रखती.

पहले 2 दिन तो मई सबेरे अंधेरे मै साहिबा से मिला ओर जस्सी की बात बताई ओर ऐसे ही आ गया. मगर 3र्ड दे मुझे लगा नही कुछ तो करना चाईए. मैने साहिबा को बोला जस्सी ने बोला है रात को भेसो वाले कमरे मै मिलेगा. साहिबा भूकी शेरनी तो थी ही.

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उपर से उसे 3 दिन हो गये थे जस्सी से मिले. उसकी आँखो मे चमक आ गयी थी. मे वाहा से चलने लगा. फिर वो वही खेत मै हॅगने बैठ गयी. मे थोड़ी आगे जाके झाड़ियों के अंदर घुस गया. वाहा गन्ने के खेत थे.

मैं छिपता हुआ साहिबा के खेत के पास पहुचा साहिबा अभी भी हॅग रही थी. मेरा मंन किया अभी पीछे से जाके गांद म लोड्‍ा डाल दु, क्या मोटी गांद थी साली की. मैं उसकी गांद को नज़दीक से देखना चाहता था.

तो थोड़ा ओर गन्नो के पीछे छिपता हुआ साहिबा की तरफ गया. अचानक मेरा पेर मूड गया ओर मेरे मुहह से उहह की आवाज़ निकल गयी. साहिबा ने पीछे मुदके पूछा कोन है?

मे चुप रहा फिर वो सामने देखने लगी, मे चुप चाप वही खड़ा रहा. थोड़ी देर बाद साहिबा ने वही पड़े एक मिट्टी के ढेले को उठाया ओर अपनी गांद उस से पोछी फिर वाहा से एक गन्ने को उठकर अपनी गांद ओर चूत पर रगड़ने लगी. मुझे इतनी दूर से ओर अंधेरे के कारण कुलो के साइवा कुछ नही दिख रा था. बस ये पता लग रहा था वो क्या कर रही है.

थोड़ी देर अपनी चूत पर रगड़ने के बाद उसने सलवार पहनी ओर गन्ने को उठाकर मेरी तरफ चलकर आने लगी. मेरी धड़कन तेज हो गयी. साहिबा मेरे से थोड़ी दूर खड़ी हो गयी ओर उस गन्ने को वाहा रखकर बोली. यहा का गन्ना बहोट मीठा ह चख कर देखोगे तो भूल नही पाओगे. ओर वाहा से जाने लगी.

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उसने यह बात ऐसे बोली जैसे खुद से बोल रही हो ओर उसे पता ना हो की मे वाहा हू. पर उसकी हरकत से लग रहा था की उसे पता है मे वाहा हू, उसके जाने के बाद मैने वो गन्ना उठाया ओर उसे चूसा. उसमे से क्या चूत के पानी की सुगंध आ रही थी.

मेरा लोडा पाटने को था ओर दिमाग़ रात के प्लान के बारे मे सोच रहा था. ऐसे सोचते सोचते शाम हो गयी. मुझे नही पता था की शाम को गीत की रसम भी है. ओर सभी पड़ोसी भी आएँगे. शाम को साहिबा भाभी भी गीत वाली औरतो मे आई. मुझे डर लगने लगा कही जस्सी ओर साहिबा की बात ना हो जाए.

मगर जस्सी उपर ही था वो नीचे नही आया. मे थोड़ा काम करवा रहा था जैसे लोगो को पानी देना वगिरह . इसी बीच आंटी ने साहिबा भाभी को चाय बनाने के लिए बोल दिया. क्योकि काम बहुत था लोग बहोट आ गये थे सब बिज़ी थे.

मैने भाभी से पहले फोची के शुगर ओर चैपती उपर वेल स्लॅप पर रख दी. साहिबा भाभी किचन मे फोची ओर मेरी तरफ उनी प्यासी नज़रो से देखा ओर बोली आपने यहा का गन्ना खाया.

मैने हन बोला, तो उन्होने पूछा कैसा लगा मायने कहा बहोट मीठा था. बोली अभी तो आपको बहोत कुछ यहा का खाना बाकी है. भाभी मस्त पटियाला सूट सलवार पहने हुए थी ओर बड़ी सेक्सी लग रही थी. भाभी ने आकर छाए चदाय ओर फिर शुगर ओर चैपती ढूँढने लगी.

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