चड्डी में से उसका तना हुआ लंड चमक रहा था।
मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी, मोटा काला, लंड मेरे सामने प्रकट हुआ, मेरे चेहरे के बिल्कुल पास, उसके लंड की गंध मेरी साँसों में आई, राहुल ने मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया।
मैंने भी अपने होंठ खोल कर जितना हो सकता था, उसका लंड अपने मुंह में ले लिया। पहले तो राहुल खड़ा था, फिर वो बैठ गया, मैं उसकी गोद में सर रख कर उसका लंड चूसने लगी।
तभी मेरे पति की आवाज़ आई- अरे माया, ऐसे तो कभी तुमने मेरा भी नहीं चूसा?
मैंने सर उठा कर देखा, अरे इन लोगों को तो मैं भूल ही गई थी कि ये दोनों भी उसी रूम में हैं। मेरे पति भी बिल्कुल नंगे और निकिता भी बिल्कुल नंगी, दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के लंड चूत चूस रहे थे।
मैंने कहा- आज मत पूछो, आज मैं अपने बस में नहीं, मुझे नहीं पता, क्या हो रहा है, क्या मैं कर रही हूँ।
कह कर मैं फिर से राहुल का लंड चूसने लगी।
फिर निकिता की आवाज़ आई- क्या आप मेरी गांड चाटेंगे?
तो मेरे पति ने ‘बड़ी खुशी से…’ कहा।
राहुल ने भी मुझे उसके आँड चाटने को कहा। मैंने बारी बारी से उसके दोनों आँड अपने मुंह में लेकर चूसे, और उसकी गांड तक अपनी जीभ से चाट गई।
अब राहुल ने मुझे खड़ा किया, खुद नीचे फर्श पे लेट गया और बोला- माया, मेरे मुंह पर बैठ जाओ।
मैंने अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी, तो वो अपनी जीभ से मेरी नंगी चूत और गांड सब चाट गया, जब मुझे मजा आया तो मैं भी आगे को झुक गई और खुद उसका लंड पकड़ कर चूसने लगी।
मैं शायद ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, इसीलिए राहुल की 2 मिनट की चूत चटाई से ही मैं तो स्खलित हो गई, मगर राहुल फिर भी मेरी चूत चाटता रहा।
मैंने ही उसे रोका- बस करो राहुल, मेरा तो हो गया।
‘अरे इतनी जल्दी?’ राहुल बोला।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारे स्पर्श से ही रोमांचित हो उठी थी, इसी लिए जल्दी झड़ गई, अब तुम ऊपर आ जाओ।
राहुल ने मुझे सीधा करके नीचे कालीन पर ही लिटा लिया और मेरे ऊपर आ कर लेट गया, मैंने अपनी दोनों टाँगें ऊपर हवा में उठा ली। राहुल ने अपना लंड मेरी नंगी चूत पे रखा और अंदर डाला।
आँखें बंद करके मैं राहुल के जिस्म को अपने जिस्म में समाने का आनन्द ले रही थी कि राहुल बोला- आँखें खोलो माया!
मैंने आँखें खोली, राहुल बोला- आँखें बंद मत करो, बल्कि मुझे खुद को चोदते हुये देखो, इस एक एक क्षण को अपनी यादाश्त में बसा लो कि कैसे मैंने तुम्हारे साथ संभोग किया।
मैंने अपने दोनों हाथ राहुल की कमर पे रखे, जब वो आगे को धक्का मार के अपना लंड मेरी चूत में डालता तो मैं भी अपनी कमर ऊपर को उठा कर उसको अपने अंदर लेती।
एक एक धक्के से मुझे सौ सौ बार आनन्द का एहसास होता। राहुल का लंड भी तगड़ा था और वो खुद भी!
2 मिनट की चुदाई के बाद राहुल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसके बाद उसी स्पीड से वो लगातार मेरी चुदाई करता रहा, मैं नीचे लेटी बस ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म’ करती रही।
मैंने दूसरी तरफ देखा, मेरे पति भी निकिता को चोद रहे थे, उनके चेहरे की खुशी बता रही थी कि वो कितने खुश थे निकिता को चोद कर, मगर मेरी खुशी मेरे मन में थी।
थोड़ी देर बाद राहुल ने मुझे घोड़ी बना दिया, घोड़ी बना कर उसका लंड मेरी चूत में और भी टाइट हो कर गया जिसमें उसको और मुझे ज़्यादा आनन्द आया।
‘ओह माया, तुम्हारी चूत तो एकदम किसी कुँवारी लड़की की तरह टाइट है, क्या तुम्हारा पति तुम्हें अच्छे से नहीं चोदता?’ मैं उसकी बात का मतलब समझ गई कि वो मजा लेना चाहता है, मैंने जवाब दिया- अरे कहाँ यार, सारी रात नंगी चूत में उंगली ले कर सोती हूँ, मुझे तो आज तुमसे संभोग का चरम सुख प्राप्त हुआ है, और ज़ोर लगाओ, जान निकाल दो मेरी, मार डालो मुझे!
राहुल ने और ज़ोर से धक्के मारे, तो उसका लंड मेरे पेट के अंदर तक ठा… ठा… बज रहा था।
मेरी बात सुन कर मेरे पति भी बोले- अरे निकिता मेरी जान, क्या मस्त माल हो तुम, मेरी बीवी तो तुम्हारे आगे कुछ भी नहीं, क्या बोबे है तेरे, क्या मस्त गांड है, और तेरी चूत भी कितनी टाइट है, अगर तू मेरे मुंह पर अपनी नंगी चूत रख कर पेशाब भी कर दे न, तो जानेमन, तेरा पेशाब भी पी जाऊँ मैं!
फिर मेरी तरफ देख कर हँसे।
मैं भी मुस्कुरा दी।
कोई 10 मिनट तक यह चुदाई का खेल चला। पहले मेरे पति झड़े, उन्होंने अपना सारा माल निकिता की गांड पर गिराया, फिर राहुल झड़ा, उसने अपना सारा माल मेरे मुंह पर गिराया, थोड़ा सा मुझे चटवाया भी!