बहोट बड़ा धोखा

हेलो मेरे प्यारे दोस्तो, मै सरला आज फिर आप के लिए अपनी एक दम ब्रांड न्यू कहानी ले कर आई हूँ. सब से पहले आप सब के खड़े लंड को मेरी प्यासी गुलाबी चूत का नमस्कार. मुझे आप के लंड का प्यार मेरी हर कहानी के नीचे मिल जाता है. जब आप मुझे कॉमेंट्स मे कहानी के बारे मे लिखते है. और साथ ही मुझे गंदी गंदी गालियाँ भी देते है.

मुझे आप सब के प्यार की बहोत ज़रूरत है. क्योकि आप के इसी प्यार की वजह से ही मैं अपनी नयी कहानिया लिख पाती हूँ. मुझे आप के मैल भी डेली मिलते है. जिसे पढ़ कर मेरा दिल खुश हो जाता है. क्योकि जो मज़े मैने रियलिटी मे लिए है. वो सब मैं जब वर्ड्स मे लिख कर एक कहानी के रूप मे आप के आगे पेश करती हूँ. तो बहोत मज़ा आता है. ये देख कर मैं और मेरा दिल बहोत खुश होता है.

जब मैने अपनी पिछले महीने की कहानी मे बड़े लंड की एक कहानी लिखी थी. तो आप मे से काफ़ी सारे दोस्तो ने मुझे मैल मे अपने खड़े लंड की फोटोस भेज दी. जिसे देख मेरी चूत पानी-पानी हो गई. मुझे विश्वास नही हो रहा था की मेरे सब दोस्तो के लंड 7 इंच से बड़े है. और कही लंड तो 10 इंच के भी है. वा क्या दम दार दोस्त है मेरे.

मैं ये ही सोचती हूँ की ये लंड जिस किसी भी चूत मे जाते होंगे. वो चूत कितनी लकी होगी. सच मे मुझे तो बहोत मज़ा आता है ये सब सोच कर. अगर मैं सच बताऊ तो मेरा दिल भी आप के लंड अपनी चूत मे लेने का करता है. पर मैं ऐसा नही कर सकती क्योकि मैं एक शादीशुदा औरत हूँ. और मेरे पति का लंड 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.

जिस वजह से मुझे बाहर के लंड लेने की कभी ज़रूरत महसूस नही हुई. पर मैं ठहरी चुदक्कड़ औरत जिसे ऐसे काम करने की बहोत गंदी आदत रही है. मैं शादी से पहले ही अपने सारे पड़ोस और बहोत के लंड का स्वाद चक चुकी हूँ. पर मुझे शादी से पहले सिर्फ़ हमारे दूधवाले का लंड ही पसंद था.

उस साले का क्या लंड था वो मेरी चूत मे दूध भर के मेरी चूत मारता था. जिससे कुछ ही देर मे मेरी चूत मे लस्सी बन जाती थी. और बाद मे मक्खनं और बाद मे वो उसे ही चाट-चाट कर ख़ाता था. शादी से पहले मैं सेक्स लाइफ को इतना एंजाय कर लिया था. मानो मैं सब की बीवी हूँ और जब जिसका मन करे वो मुझे चोद जाता था. घर मे एक मंदिर का घंटा बनी हुई थी. जब भी किसी का मुझे बजाने का दिल करता था. वो मुझे आ कर मेरी दोनो टाँगे उठा कर मुझे बजा देता था.

खैर आज मैं आज की कहानी पर आती हूँ. आज की कहानी मेरी नही है. हा दोस्तो मैं सच कह रही हूँ ये कहानी मेरी नही है. बल्कि मेरे पड़ोस मे रहेने वाली ऋतु की है. उसकी भी शादी हो रखी है और उसकी फैमिली और मेरी फैमिली की बहोत अच्छी बनती है. एक रात हम दोनो के पति कही बाहर पार्टी मे गये हुए थे.

तब मैं और वो दोनो छत पर घूम रहे थे. तब जा कर उसने मुझे अपनी ये कहानी बताई. जिसे सुन कर मुझे लगा की अगर इसकी कहानी सुन कर मेरी चूत गीली हो गई है. तो आप सब के लंड तो पागल हो उठेगें. इस लिए मैं उसी टाइम ये कहानी लिखने का फ़ैसला कर लिया था. तो चलिए अब आप सब अपने लंड को तैयार कीजिए और क्योकि अब मूठ मारने वाले है. मेरी आज की कहानी पढ़ने के बाद.

तो चलिए शुरू करते है.

पहले मैं अपनी दोस्त ऋतु के बारे मे बता दू. या ऐसी करती हूँ बीच मे मैं नही आती. आज आप को ये कहानी ऋतु ही सुनाएगी. हां ऐसा ठीक रहेगा तो ये कहानी ऋतु की ज़ुबानी.

हेलो दोस्तो मेरा नाम ऋतु है और मेरी उमर 23 साल है. और अगले 2 महीने बाद मैं 24 साल की हो जाऊंगी. मेरा रंग गोरा है और चेहरा काफ़ी सुंदर है. जोकि मुझे अपनी मा बाप से मिला है. मेरा फिगर 34-26-36 है. मैं देहरादून से निलोखड़ी +2 क्लास पास करने के बाद यहाँ आई थी. क्योकि मुझे शुरू से पढ़ने का बहोत शोक था.

इसलिए मैं यहा के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक मे अड्मिशन ले लिया था. जैसे ही मैने कंप्यूटर इंगिनेरिंग अच्छे मार्क्स मे पास करी तो कॉलेज वालो ने मुझे वही पर टीचर की जॉब ऑफर कर दी और मैं खुशी खुशी हाँ भी कर दी. शायद कॉलेज का स्टाफ मुझे जैसे सेक्सी लड़की को अपने कॉलेज से जाने नही देना चाहता था. क्योकि उन सब की नज़र हर वाक़त मेरे बूब्स और मेरे चुत्थाडो पर ही रहती थी.

ये सब मुझे अच्छा भी लगता था क्योकि एक लड़की को सारे घूर घूर कर देखे उसे और क्या चाहिए. मेरे क्लास के लड़के भी मुझे एक रात के लिए अपने साथ अपना हमबिस्तर बनाना चाहते थे. पर मुझे किसी लड़के और किसी और मे कोई इंटरेस्ट नही था. जब मैं कॉलेज मे टीचर बनी तो मैने अपने मम्मी पापा और दादा जी को बताया.

मेरी ये बात सुन कर वो बहोत खुश हुए. मैं कॉलेज से 10 दिन की छुट्टी ले कर अपने घर गई. तो मुझे पता चला की मेरे दादा जी हरिद्वार गये हुए है. जब मेरी छुट्टी को 4 दिन रह गये थे तब वो अपने साथ एक लड़के को ले कर आए. मैं अपने दादा की बहोत इज़्ज़त करती हूँ और उनकी हर बात को बिना कुछ कहे मान जाती हूँ.

उन्होने मुझे बताया की ये लड़का सुनील है. जो की मेरे दूर के चाचा की का लड़का है. इसकी पूरी फैमिली मा पापा भाई बहेन बस मे जा रहे थे. तभी अचानक बस खाई मे गिर गई. और ये अकेला बस की विंडो मे से बाहर आ कर बच गया. इस लिए वो इसे अपने साथ अपने घर मे ले आए थे.

अब भला मैं 4 दीनो मे कैसे सुनील के साथ ज़्यादा बोल चाल कर पाती. इसलिए मैने उससे कुछ ज़्यादा बातें नही करी और सीधी अपने कॉलेज मे आ गई. कॉलेज मे आकर मैं डेली की तरह अपने काम मे लग गई. ऐसे ही 12 दिन निकल गये और एक दिन मैने अपने कॉलेज मे एड्मिशन डिपार्टमेंट मे सुनील को देखा. मैं उसे देख कर पूरी तरह हैरान रह गई मैं उसके पास गई और उससे पूछने लग गई.

तो उसने मुझे बताया की वो आज से वो मेरे कॉलेज मे ही स्टडी करेगा. क्योकि उसने +2 पास करली है और अब वो आगे इंजिनियर बनना चाहता है. इसलिए दादा जी ने उसे मेरे पास पढ़ने के लिए भेजा है. और उसे गवर्नमेंट की तरफ से पढ़ाई के लिए सारी फीस भी मिलेगी. मैं उसकी सारी बात अच्छे से समझ गई.

मैं उसे कॉलेज के बाद अपने रूम मे ले गई. और उसे अपने छोटे से फ्लॅट के बारे मे सब कुछ बता दिया. की कौन सी चीज़ कहाँ है. उसके बाद मैं सो गई क्योकि मैं बहोत थक जाती हूँ. जब मैं उठी तो जैसा मैने उसे कहा था की तुम साइड मे अपना नीचे बिस्तर लगा लो. उसने वैसा ही लगा लिया था और साथ ही अपना सारा समान भी सेट कर लिया था.

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पर मुझे सुनील कही दिख नही रहा था, तभी मुझे किचन मे से कुछ आवाज़ आई. मैं वाहा गई तो देखा की सुनील मेरे लिए टी बना रहा है. और मेरे घर से लाई हुई कुछ खाने की चीज़ें सेट कर रहा था. फिर हम दोनो ने मिल कर टी ली और कुछ बातें करी.

बातें करते करते मैने उससे उसके सारे डॉक्युमेंट्स ले लिए. और एड्मिशन फॉर्म फिल अप करना शुरू कर दिया. मैने उसे कहा की तुम टेन्षन ना लो मैं कल तुम्हारा यहा एड्मिशन करा दूँगी. और फिर तुम वाहा के हॉस्टिल मे आराम से रह सकते हो. ये कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

सुनील दिखने मे काफ़ी हैंडसम था. उसकी बॉडी बहोत ही कमाल की थी उसका सीना देख कर मन करता था. की अपने आप को उसकी बाहों मे डाल लू बस. उसकी उमर अभी 19 साल थी. और उसकी इस उमर मे ही उसकी हाइट 5’8 इंच था. इतना हैंडसम उँचा लंबा लड़का जिस किसी लड़की के साथ रहे उसका मूड खराब होना लाजमी था.

खैर फिर हम दोनो ने टी पी. और फिर हम रात का डिनर बनाने लग गये. रात का डिनर मैने बनाया था इसलिए मैं किचन मे पूरी पसीने से भीग चुकी थी. मैं डिनर करने से पहले नहाने के लिए चली गई. और खूब अच्छे से अपने सेक्सी फिगर को साबुन से अच्छे से रगड़ रगड़ कर सॉफ किया. मेरा गोरा जिस्म न्हा कर और भी गोरा हो गया.

जब मैं न्हा कर बाहर आई तो मैने देखा की सुनील ने मेरे आने तक डिनर रेडी कर लिया था. फिर हम दोनो ने मिल कर बातें करते हुए अपना डिनर फिनिश कर लिया. और फिर हमने कुछ देर और बातें करी और फिर सो गये. मुझे रात को अक्सर बहोत लेट नींद आती है इसलिए मैं सुबह लेट उठती हूँ.

अगले दिन मैं 7 बजे उठी तो मैने देखा की सुनील घर पर नही है. मैं बहोत परेशान हो गई आख़िर ये इतनी सुबह सुबह कहा चला गया है. जब मैने छत पर जा कर देखा तो वो उप्पर वर्काउट कर रहा था. उसने उस टाइम एक टाइट बनियन और नीचे कपेरी डाली हुई थी. उसके मसल देख कर मैं उस पर लतू हो गई.

मैं उसे ही देख रही थी ना जाने मैं खो गई थी उसे देखते देखते. अचानक वो मेरे पास आया और बोला आज जाना नही क्या कॉलेज. मैं उसकी आवाज़ सुन कर एक दम होश मे वापिस आई. और जल्दी से बाथरूम मे घुस गई. इतने मे सुनील ने ब्रेकफास्ट की तैयारी करना शुरू कर दिया था.

करीब 8 बजे तक हम दोनो तैयार हो कर कॉलेज आ गये. मैने जाते ही उसका एड्मिशन फॉर्म सब्मिट करा दिया. और फिर उसे अपने साथ अपने केबिन मे ले गई. और उसे वाहा वेट करने के लिए कह दिया. क्योकि अब मेरी क्लास का टाइम हो रहा था.

लंच टाइम मे मुझे पता चला की सुनील को मैकेनिकल इन्जनिरिंग मे एड्मिशन मिल गया. जिस मे उसे बहोत इंटेरेस्ट था खैर मैं जल्दी से उसे ले कर सर के पास गई. और उसकी सारी फोर्मलिटीज़ पूरी करवा दी. जब मैने होस्टेल की बात करी तो उन्होने मुझे कहा की अभी होस्टेल मे जगह नही है. इसलिए उसे कुछ दीनो तक होस्टेल नही मिल सकता.

मुझे ये सुन कर बहोत गुस्सा आया. इसलिए मैं गुस्से मे ही हेड मास्टर के पास गई. और उनसे होस्टेल के बारे मे बात करी. तो उन्होने आगे बात करके मुझे बताया की अभी वाहा पर कोई भी रूम खाली नही है. आने वाले कुछ दीनो मे फाइनल एग्ज़ॅम है फिर वाहा से लड़के चले जाएगें. और फिर वो सुनील को एक रूम दे देगें. उसके बाद हम दोनो वापिस आ गये और मैं अपनी अगली क्लास की तैयारी करने लग गई.

हम फिर उस दिन वैसे ही 3 बजे के करीब अपने घर पर आए. घर पर आ कर हमने बैठ कर थोड़ा रेस्ट किया और फिर पानी भी पिया. पानी पी कर हमे थोड़ी भूक लगने लग गई तो मैने सुनील से बाहर से चोल्ले भ्टूरे लाने को कहा तो वो ले आया.

फिर हमने एक साथ बैठ कर अपनी भूक को शांत किया और साथ ही साथ कुछ बाते भी मारी. इतने मे 4 बज गये थे तो मैं अपने कमरे मे जा कर लेट गई.

शाम को जब मैं उठी तो मैं सीधा रसोई मे गई तो मैने देखा की सुनील चाय बना रहा है. चाय बनाते हुए मुझे देखते ही वो बोला- उठ गये.

मैं – हाँ उठ गई और मैं सोफे पर बैठी हूँ तुम चाय ले आयो.

अब फिर मैं वाहा जा कर बैठ गई और हमने एक साथ चाय पी. मेरा भाई चाय बनाने मे तो पूरा एक्सपर्ट है इसलिए मुझे अपने भाई के हाथ की बनी हुई चाय भी बहोत ही ज़्यादा अच्छी लगती है.

ऐसे ही कुछ दिन निकल गये और अब हमारे बीच मे काफ़ी अच्छी अंडरस्टॅंडिंग हो गई थी. हम एक साथ बहोत सी बाते करते थे. वो मुझसे कॉलेज मे हुई हर बात शेयर करता था. और मैं भी उससे यही कहती थी की मेरी कोई ज़रूरत पड़े तो बता देना.

धीरे धीरे टाइम निकलता चला गया और फिर त्योहार भी आने लग गये. और फिर एक दिन दशहरा वाले दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे बदल कर रख दिया.

ये सब तो आपको पता ही है की दशहरा वाले दिन छुट्टी होती है तो हम भी घर पर ही थे. मैं रसोई मे खाना बना रही थी और फिर खाना बना कर कमरे मे आ कर लेट गई थी. उधर सुनील वॉशरूम नहाने के लिए गया हुआ था. और वो जैसे ही बाहर आया तो मैने देखा की वो सिर्फ़ टॉवेल मे ही था.

पर उसे मैने तो देख लिया था पर उसने मुझे नही देखा था. इसलिए उसने टॉवेल को उतारा और अपना अंडरवियर पहनने लग गया. तब मेरी नज़र उसकी झंगो के बीच मे से उसके 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड पर जा पड़ी. ये देख कर मैं हैरान रह गई और शरीर मे एक हलचल सी मच गई.

मैने आज पहली बार इतना लंबा लंड देखा था. पर हाँ बचपन मे पापा और दादा जी का लंड भी एक दो बार अंजाने मे देख लिया था पर जितना बड़ा लंड सुनील का है उतना तो किसी और का नही था.

सुनील कपड़े पहें कर मुड़ा तो मैं भी मूड गई और उसे ऐसे दिखाने लग गई की मैने तो कुछ देखा ही नही. पर वो मुझे देख कर थोड़ा डर गया और सीधा बाहर कपड़े डालने चला गया.

ये देख मैं भी फटाफट बाथरूम गई और कपड़े उतार कर नहाने के लिए बैठ गई. पर मेरी नज़रो के आगे तो सुनील का लंड ही दिख रहा था तो मैं कुछ कर ही नही पाई. और मेरे जिस्म मे भी एक अजीब सी हलचल मच रखी थी. जिसको मैं बुजाना चाहती थी पर मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था की मैं क्या करू.

इसलिए मैने अपने जिस्म पर ठंडा पानी डाल कर देखा तो मेरा जिस्म तब भी नही ठीक हुआ. इसलिए मैं अब चुप चाप बैठ गई और फिर एक दम से मेरी आँखे बंद हो गई. और मेरा राइट हैंड सीधा मेरी चूत पर जा पहुचा.

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तब मेरी एक उंगली सीधा चूत के अंदर चली गई और मैं मज़े मे उंगली को उप्पर नीचे करने लग गई. जिसके करने से मुझे बहोत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था. और फिर धीरे धीरे मेरी उंगली तेज तेज उप्पर नीचे होने लग गई. करीब 5 मिनिट बाद मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और फिर उसके सूंख जाने के बाद मैने ये भी महसूस किया की मेरी तड़प शांत हो गई थी.

फिर मैं फटाफट न्हा कर बाजार आ गई और फिर ऐसे ही हमारा दिन निकल गया. अगले दिन सुबह फिर से मेरा मन सुनील का लंड देखने को तड़पने लग गया. पर मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं ये कैसे करू और कैसे दर्शन पाऊ.

ऐसे ही एक हफ़्ता निकल गया. हम डेली रुटीन मे अपना जीने लग गये. और फिर एक दिन मैने देखा की वॉशरूम के दरवाजे पर दरार थी. तब मैं न्हा रही थी इसलिए मैने अंदर से ही आँख लगा कर देखा तो मुझे कमरे का कुछ दिखाई दिया. पर मैं ये नही जानती थी की बाहर से अंदर का क्या क्या दिख सकता था.

ये देखने के लिए मैने सुनील साथ चाय पीते हुए उसे बाजार से कुछ समान लाने को कहा. तो वो मुझसे समान का पूछने लग गया की क्या क्या लाना है. मैने उसे एक लिस्ट बना कर देदी और वो चाय पी कर चला गया.

उसके जाते ही मैने डोर लॉक किया और फिर उसके बाद मैने वॉशरूम के दरार पर आँख लगा कर देखा तो पहले तो मुझे दिखाई नही दिया. पर फिर मैने खुद को हिला कर और अड्जस्ट करके देखना चाहा तो मुझे अंदर का कुछ हिस्सा दिखाई दिया. पर मुझे समझ नही आ रहा था की वो क्या था इसलिए मैने दरवाजा खोल कर देखा तो वो हिस्सा टेप के साथ नहाने वाली जगह का ही था.

और ये देख कर मैं खुश हो गई की मैं अब सुनील को नहाते हुए देख पाऊँगी ताकि मुझे उसके लंड के दर्शन हो पाएँगे. ये कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इतने मे सुनील भी घर आ गया और मैं रात का खाना बनाने लग गई. पर मेरे लिए वो रात निकालना मुश्किल हो रहा था क्योकि मैं ये जानती थी की वो नहाने के लिए जाता है इसलिए मैं उसके नहाने जाने के इंतेज़ार करने लग गई.

फिर जब मैने सुनील से कहा की खाना बन गया है तो वो कपड़े ले कर नहाने चला गया और मैं भी उसके पीछे पीछे चली गई.

मैने अपनी नज़र उस दरार पर टीका ली और अंदर देखने लग गई. सुनील एक दम नंगा था और उसने लंड को हाथ मे पकड़ रखा था. लंड को हाथ मे देख कर मेरी तबीयत खुश हो गई और मैं ऐसे ही देखने लग गई.

वो फिर लंड को उप्पर नीचे करने लग गया और फिर तेज तेज करने लग गया तो मैं भी मज़े मे देखने लग गई. और फिर एक दम से उसके लंड से पिचकारी निकल गई और दीवार पर जा कर सारा पानी जा गिरा.

ऐसा देख कर मेरा जिस्म भी मचल उठा और मेरा हाथ अपनी चूत पर जा टीका और वो अब नहाने के लिए लंड को धो कर साबुन लगा कर नहाने लग गया.

जब वो नहा लिया और कपड़े पहनने लग गया तो मैं किचन मे आ कर खाना डालने लग गई. और फिर हमने एक साथ बैठ कर खाना खाया. फिर वो अपने कमरे मे जा कर सो गया पर मेरी नींदे उड़ गई. मुझे उसके लंड की याद आ रही थी और कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करू.

एक साइड मेरा दिल कह रहा था की मैं आज ही इससे अपनी चूत को चुदवा लू. और अपनी चूत की आग को शांत करवा लू. क्योकि इतना मस्त लड़का और उप्पर से इतना मस्त लंड किस्मत वालो को ही मिलता है. पर दूसरी साइड मेरा दिमाग़ कह रहा था की अगर मैं इससे ऐसी बातें करूँगी. तो ये मेरे बारे मे क्या सोचेगा और तो और अगर इसने मेरे मम्मी पापा को इस बारे मे बता दिया. तो मैं ना तो घर की रहूंगी और ना ही कॉलेज.

इसके साथ साथ मुझे ये डर भी था. की अगर मैं हमारे इस सेक्स रीलेशन के बारे कॉलेज मे किसी को पता भी चल गया तो मैं कहीं की नही रहूंगी. पर मेरी जवान जवानी और मेरी चूत मुझे पागल कर रहे थी. मेरी इस हवस ने मेरी सोचने की शक्ति को ख़तम कर दिया था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की क्या ग़लत है और क्या सही है.

इसलिए मैने फ़ैसला किया की मैं सुनील को कॉलेज मे अपने मन की बात बता दूँगी. अगर सुनील को ठीक लगा तो वो मेरी चूत मार लेगा. और साथ ही मैं उससे ये प्रॉमिस भी ले लूँगी की ये बात हम दोनो के सिवा किसी और को ना पता चले. ये आइडिया मुझे बहोत अच्छा लगा इसलिए मैने इसे फाइनल कर दिया.

अब मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. मेरी आँखो के सामने सुनील का बड़ा सा लंड घूम रहा था. इसलिए मैं जल्दी से नीचे से पूरी नंगी हो गई. और अपनी चूत पर थूक लगा कर अपनी चूत को रगड़ने लग गई. मेरी चूत ने करीब 10 मिनिट मे ही दम तोड़ दिया और फिर मैं सो गई.

सुबह हम दोनो हर रोज की तरह तैयार हो कर एक साथ कॉलेज मे आ गये. उसके बाद मैने सोचा की आज लंच टाइम मे सुनील से अपने सेक्स रीलेशन की बात करूँगी. पर लंच टाइम से पहले से ही एक सर ने मुझे नीचे एड्मिशन रूम मे बुलाया. मैं वाहा गई तो पता चला की होस्टेल मे एक रूम आज ही खाली हो गया है.

इसलिए अभी के अभी सुनील को वाहा जाना पड़ेगा. ताकि कोई और उस रूम को ना ले पाए. मैं वो बात सुन कर बहोत ज़्यादा उदास हो गई. मुझे सच मे बहोत बड़ा धक्का लगा फिर मैं अपने केबिन मे जा कर बैठ गई.

और रोने लग गई तभी सुनील मेरे पास आया और फ्लॅट की की ले कर चला गया. मुझे पता था की वो अब शिफ्ट करने जा रहा है. मैं सच मे बहोत उदास थी शाम को मैं घर गई.

तो सुनील वहीं पर था उसने मेरे लिए चाय बनाई हुई थी. हम दोनो एक साथ चाय पी और फिर उसने मुझे खा की. दीदी आपने मेरी बहोत हेल्प करी है अगर आप को कभी मेरी किसी तरह की भी हेल्प की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना. मैं आप की हेल्प ज़रूर करूँगा. ये कह कर वो चला गया और मैं पिल्लो मे अपना सिर दे कर ज़ोर ज़ोर से रोने लग गई.

मुझे इस बात का धुख नही है की उसने मुझे चोदा नही. बल्कि मुझे इस बात का दुख है जिस लड़के ने मुझे आज तक दीदी नही कहा. उसने मुझे जाते हुए अपनी बहेन बना लिया.

दोस्तो, मुझे उमीद है आप को मेरी ये कहानी अच्छी लगी होगी,